Wednesday, May 15, 2019

सोरायसिस से जूझ रही हैं उतरन की रश्मि देसाई

अगर ये सवाल आपसे कुछ साल पहले कोई पूछता तो शायद आप कहते, 'उतरन' सीरियल की तपस्या-तप्पू वाली रश्मि देसाई...?
कई बार धारावाहिकों के कुछ किरदार इस क़दर मशहूर हो जाते हैं कि वही उन कलाकारों की असली पहचान बन जाती है.
रश्मि देसाई के लिए 'उतरन' वही सीरियल था. उसके मुख्य किरदार के तौर पर लोग आज भी उन्हें जानते और पहचानते हैं. इसके बाद रश्मि कुछ एक और धारावाहिकों में नज़र आईं, कुछ रिएलिटी शो भी किए लेकिन वो जादू दोबारा नहीं चल सका.
और अब रश्मि एक लंबे समय से पर्दे से ग़ायब भी हैं...हालांकि टीवी जगत में जहां हर रोज़ कुछ नए धारावाहिकों के साथ दर्जन भर नए चेहरे आते हों वहां कोई एक कलाकार लंबे समय से नज़र नहीं आए तो पता भी नहीं चलता.
लेकिन बीते कुछ दिनों से रश्मि एक बार फिर चर्चा में है पर वजह कोई सीरियल या कंट्रोवर्सी नहीं बल्कि उनकी बीमारी है.
रश्मि देसाई सोरायसिस नाम की बीमारी से जूझ रही हैं.
बहुत हद तक संभव है कि आपने इस बीमारी के बारे में सुना भी न हो, लेकिन रश्मि ने बताया कि वो पिछले एक साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं.
सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है. जो अमूमन किसी भी उम्र में सकती है.
क्या है सोरॉसिस?
अमरीका के नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन
नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, अगर शरीर में कहीं भी लाल चकत्ते नज़र आ रहे हैं तो बिना पूछे-जांचे, दवा लेना ख़तरनाक हो सकता है. डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है क्योंकि ये सोरायसिस की शुरुआत हो सकती है.
अमरिकन अकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, यह बीमारी ज़्यादातर गोरे लोगों में होती है. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं कि ये सांवले लोगों को नहीं हो सकती.
नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के अनुसार, वैज्ञानिकों को अभी भी इसकी असल वजह के बारे में पता नहीं है लेकिन जो पता है उसके मुताबिक़ इम्यून सिस्टम और आनुवांशिक कारणों के चलते ये बीमारी किसी को भी हो सकती है.
लेकिन ये संक्रामक बीमारी नहीं है.
अमेरिकन अकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार इसके अलावा स्वीमिंग पूल में नहाने, किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ संपर्क से और किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी यह नहीं फैलता है.
लेकिन इम्यून सिस्टम कैसे?
WBC यानी श्वेत रुधिर कणिकाएं शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करती है. बीमारियों को रोकने की क्षमता को इम्यूनिटी कहा जाता है. लेकिन अगर किसी शख़्स को सोरायसिस है तो इसका मतलब ये भी हुआ कि उसके इम्यून सिस्टम में कोई न कोई कमी आ गई है.
ये WBC त्वचा की कोशिकाओं यानी स्किन सेल्स पर हमला कर देती हैं. जिसकी वजह से स्किन सेल्स शरीर में बहुत तेज़ी से और जल्दी से बनने लगते हैं.
यही स्किन सेल्स अतिरिक्त त्वचा गांठ/मोटी चमड़ी या चकत्ते के तौर पर जमा हो जाती है जिसे हम सोरायसिस कहते हैं .
पर सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि अगर एकबार यह प्रक्रिया शुरू हो गई तो आजीवन चलती रहती है. हालांकि कुछ मामलों में अपवाद भी हैं.
जीन्स
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार इसके लिए जीन्स भी ज़िम्मेदार होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इस बीमारी को लेकर जाते हैं.
के मुताबिक, इसमें त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ने शुरू हो जाते हैं. आमतौर पर इसका असर सबसे ज्यादा कोहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है.
वैसे इसका असर शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है. कुछ पीड़ितों का कहना है कि सोरायसिस में जलन भी होती है और खुजली भी. सोरायसिस का संबंध कई ख़तरनाक बीमारियों मसलन, डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारियों और अवसाद से भी है.

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